Saturday, December 18, 2010

ग्रामीण स्तरीय खेलकूद लाठी कौशल प्रतियोगिता आयोजित

कुर्साकाटा(अररिया), निज संवाददाता: शुक्रवार को मुहर्रम के अवसर पर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में ग्रामीण स्तरीय खेलकूद लाठी कौशल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कमलदाहा, डहुवाबाड़ी, बलचंदा, तकिया, डाढापीपर, गरैया, नवटोली स्थित अखाड़ों से जंगी जुलूस ताजिया निशान एवं पौराणिक हथियारों सम्य कई टोली सुभाष स्टेडियम में संध्या तीन बजे एकत्रित हुए। इस कौशल प्रदर्शन में लोगों ने लाठी, तलवार आदि भांजकर मनमोहक एवं आश्चर्यजनक करतबों का प्रदर्शन किया।
कहते है कि मुहर्रम हिजरी सन का प्रथम महीना का नाम है। इसलाम धर्म में इस महीना का बड़ा महत्व है। इसी महीने की दसवीं तारीख को हजरत इमाम हुसैन(रजी) मजीद के हाथों शहीद हुए जो पैगम्बर ए इसलाम हजरत मोहम्मद के नाती थे। अमीर माबिया के पुत्र मजीद धर्म से भटका हुआ शासक था। दूसरी ओर हजरत इमाम हुसैन की अनुयाईयों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। मजीद को इस बात से काफी कूढ़न थी। वह चाहता था कि हजरत हुसैन(रजी) को रास्ते से हटा दिया जाये। अपने घृणित उद्देश्यों को पुरा करने के लिए उन्होंने छल से हजरत इमाम हुसैन को अपने यहां कूफा शहर में आने का निमंत्रण दिया यह कहकर कि हम सभी अपने हाथ पर आपका बयना(अनुयाई) लेंगे। हजरत इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ मदीना से निकले। इराक के शहर कूफा के अंतर्गत एक मैदान में मजीद और उनकी सेनाओं ने उसे रोक लिया। तीन दिनों तक युद्ध चलता रहा। तपते हुए वह रेगिस्तानी मैदान खून से रंगीन हो गया। यही मैदान कर्बला कहलाया। अंततोगत्वा मुहर्रम की दसवीं तारीख को हजरत इमाम हुसैन ने शहादत का जाम पिया। इसलिए इस दिन को यौमे आसूरा(गम का दिन) भी कहते है। इसी की याद में आज के दिन मुस्लिम भाई गम मनाने के साथ साथ हक और वातिल(धर्म और अधर्म) के बीच के युद्ध को सांकेतिक रूप से विभिन्न रूपों में प्रदर्शित करते है। इस अवसर पर जगी जुलूस विभिन्न गांवों के अखाड़ों से निशान, ताजिया, दुलदुल के साथ निकलकर कर्बला में एकत्रित होते है और पहलाम(श्रद्धाजलि) करते है। शुक्रवार को ताजिया जुलूस के दौरान थानाध्यक्ष राधाकृष्ण रजक जुलूस के बहाने पूर्व के दुश्मनी का बदला लेने के उद्देश्य रखने वाले उपद्रवियों एवं असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों के साथ मुस्तैद देखे गये। वहीं अंचलाधिकारी विजय शंकर सिंह शांतिपूर्वक मुसलमान भाईयों को पहलाम करने में सहयोग करते हुए नजर आये। कर्बला में एकत्रित हो रहे विभिन्न जगहों के जुलूसों द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन का नेतृत्व मो. मुश्ताक आलम, अयूब आलम, मो. निजामुद्दीन, मो. वारीन, मो. शमशुल हक, मो. इमामुद्दीन, मो. अख्तर, मो. जमाल, कमर, मोजिद, रवाजा, रिजवान, नूर हसन, अमरूल, मोहसिन, अबुल हसन, नजीर, परवेज सहित अनेकों लोग कर रहे थे।

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