Wednesday, December 15, 2010

महिला सुरक्षा के लिए बने कानून का हो रहा दुरूपयोग

अररिया, विसं:शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा जिला अररिया में महिला सुरक्षा के लिए बने कानून का दुरूपयोग हो रहा है। महिला प्रताड़ना, दहेज निषेध अधिनियम, भरण पोषण समेत घरेलू हिंसा अधिनियम जैसे कानूनों का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना व सुखद जीवन जीने से संबंधित है। लेकिन सीमावर्ती इस पिछड़े जिले में ये अधिनियम आर्थिक शोषण का जरिया बन गया है। कहीं ससुराल वालों को तो कहीं संबंधित पक्षकारों को इसके द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा है।
महिलाओं को प्रताड़ना से मुक्ति के लिए भादवि के तहत धारा 498 ए बना है। जो गैर जमानतीय व नन कम्पाउण्डेबुल है। इन धाराओं में केश दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी तय मानी जाती है। इसी लिए इन धाराओं का उपयोग भी यहां आर्थिक दोहन के लिए अधिक किया जा रहा है।
जानकारों की मानें तो अदालत में ऐसे कई मामले दायर हो रहे हैं जिसमें अप्रत्यक्ष आर्थिक शोषण के बाद केश में पैरवी नहीं की जाती है तथा केश आगे नहीं लड़ने का आवेदन या संधी पत्र लगा दिया जाता है। हो जाने की बात सामने आया है। इसमें वादी बनी महिला का रोल काफी अहम होता है।
साथ ही समाज के कथित ठेकेदार भी इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं।
अररिया थाना कांड संख्या 189/09 को ही लें। यह प्राथमिकी 07 मई 09 को दर्ज हुई। भादवि की धारा 489 ए के इस मामले में मास्टर मुस्लिम, अब्दुल कुद्दुस, मो. आलम आदि आरोपी बने। परंतु अनुसंधानकत्र्ता बनी पुलिस ने करीब एक वर्ष बाद इस घटना को फाल्स करार दिया।
सिमराहा के पुरन्दाहा लक्ष्मीपुर टोला निवासी बीबी असमती खातून ने अपने पति मो. इम्तियाज, सास, ससुर, भैंसुर व सौतन बीबी रूबी समेत कई के विरूद्ध नारी प्रताड़ना का केश दर्ज कराया। व्यवहार न्यायालय में केश संख्या 1332सी/10 दायर हुआ। परंतु बाद में उसी महिला ने केश नहीं लड़ने का आवेदन कोर्ट में दाखिल कर दिया तथा बाद में अपनी कोई अभिरूचि नहीं दिखाई। जिससे केश खारिज हो गया।
यही हाल केश नंबर 1974सी/10 का है। फारबिसगंज के घोड़ाघाट की अफरोजा खातून ने अपने पति आदि पर केश दायर की। नारी प्रताड़ना व दहेज का आरोप लगाया। परंतु बाद में केश नहीं लड़ने का आवेदन कोर्ट में दाखिल कर दी।
अररिया थाना कांड संख्या 87/09 में नारी प्रताड़ना का एक मामला कई लोगों के विरूद्ध दर्ज हुआ। अररिया कोर्ट में सिमराहा की बीबी शाहीन ने अपने पति मो. अख्तर समेत कई को आरोपित किया। अभियोग पत्र संख्या 273सी/09 को शीघ्र प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान करने का आदेश पुलिस को दिया गया। परंतु इसमें भी अब तक फलाफल नगण्य है।
वहीं बांसबाड़ी की बीबी नुजहत बानू ने अपने पति मो. जावेद आलम, सौतन बीबी हसीना आदि पर नारी प्रताड़ना का केश दर्ज कराया परंतु मामला लटका पड़ा है।
बीबी रवीना खातून ने अपने सौहर पति वकील समेत कई लोगों पर नारी प्रताड़ना का केश दायर की। जिसमें मारपीट कर घर से भगाने का आरोप लगाया गया। बाद में उसी ने अपने पति व अन्य के साथ मधुर संबंध स्थापित हो जाने का आवेदन कोर्ट में दिया तथा संधि के आधार पर केश समाप्त किया गया।
इस तरह महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून तो बनाये गये हैं परंतु इन कानूनों का कतिपय पत्‍ि‌नयां व महिलाएं खुलेआम दुरूपयोग कर रही हैं।
गरीबी व अशिक्षा का दंश झेल रहे इस सीमावर्ती जिले में ऐसे कई मामले हैं जो सिर्फ आर्थिक भयादोहन के लिए दर्ज किये जाते हैं और स्वार्थ सिद्ध होते ही उसे वापस ले लिया जाता है।

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