Monday, December 13, 2010

पाक्षिक कविगोष्ठी में झूम उठे साहित्यकार

अररिया,संसू: प्रगतिशील लेखकसंघ एवं संवदिया प्रकाशन की ओर से संत नरसिंह मेहता जयंती के अवसर पर रविवार को डा. चन्देश के आवास पर पाक्षिक कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं को सुनाया। प्रलेस के अध्यक्ष डा. सुशील कु. श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय कविता वतन खुशनसीब है, अताएं अतीत है, खजाना कुबेर का फिर भी गरीब है गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं संवदिया प्रकाशन के प्रधान सम्पादक भोला पंडित प्रणयी ने रौशनी को मुक्त होना है अंधेरों से छीननी है रोटियां कुबेरों से गाकर श्रोताओं के वाह-वाह कहने पर मजबूर कर दिया। फरमान अली फरमाने ने गुनाहों के आगे, सबाबों के पीछे, कही उम्र सार हिजाबों के पीछे सुनाकर श्रोताओं को उम रहते कुछ अच्छा करने की नसीहत दे डाली। डा. चंन्दभूषण दास चन्द्रेस ने है हरित श्यामला भारत मां को सुनाकर भारत मां का ऋणी होने का मान सबको कराया। विनीत प्रकाश राजा, रीना चौधरी, चौधरी, भगवंत, ठाकुर शंकर कुमार आदि ने भी कविता सुनायी।

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