फारबिसगंज(अररिया) : सरकारी विद्यालयों में जिस हिसाब से बच्चों की संख्या बढ़ी है, उसी हिसाब से लूट-खसोट भी बढ़ा है। प्राथमिक तथा मध्य विद्यालयों में उपलब्ध कराये जाने वाले मध्याह्न भोजन योजना के चावल की लूट-खसोट का आधार भी बच्चों की बढ़ी हुई संख्या में फर्जी बच्चों का नामांकन किया गया है। इन सरकारी विद्यालयों में ऐसे छात्र-छात्राओं का नामांकन भी किया गया है जो पब्लिक स्कूलों में पढ़ते हैं।
बताया जाता है कि बड़ी संख्या में सरकारी विद्यालयों से गैर हाजिर रहने वाले बच्चों का नाम नामांकित है। ऐसे बच्चों के नाम पर सरकारी योजनाओं का लाभ सघन जांच की जाये तो कई विद्यालयों में नामांकन और योजनाओं के घालमेल की पोल खुल सकती है। विद्यालयों में बच्चों की उपस्थित 50 से 60 फीसदी तक ही है। फारबिसगंज प्रखंड में फिलवक्त कुल 212 प्राथमिक तथा मध्य विद्यालय हैं। जिसमें से 147 प्राथमिक विद्यालय है तथा 65 मध्य विद्यालय। इनमें अधिकांश विद्यालयों में खुद भोजन बनाने की व्यवस्था है। कुल विद्यालयों में 154 में एमडीएम का चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। जबकि 58 विद्यालयों में एनजीओ के माध्यम से पका-पकाया भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। एनजीओ से लेकर विद्यालयों में बनने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर आये दिन शिकायतें आती रही है। फारबिसगंज बीईओ चंदन प्रसाद कहते हैं कि भोजन को लेकर कभी-कभी शिकायतें रहती है। जिसे सुधार के लिए कहा जाता है।
हालांकि बड़ी संख्या में विद्यालयों में फर्जी नामांकन की बात से इंकार करते हुए श्री प्रसाद ने बताया कि इक्का-दुक्का फर्जी नामांकन हो सकता है। वे बताते हैं कि नामांकन में कहीं 50 फीसदी तो कहीं 60 फीसदी तक बच्चे विद्यालयों में उपस्थित पाये जाते हैं। सवाल उठता है कि 40 से 50 फीसदी गैर हाजिर बच्चे आखिर कहां है। क्या यह फर्जी नामांकन के संकेत नहीं है। कई बार विभिन्न विद्यालयों ने सरकारी योजना, पोशाक राशि, बाढ़ राहत राशि को लेकर हंगामा और सड़क जाम तक घटनाएं हो चुकी है। ढोलबच्जा आदर्श मध्य विद्यालय के एमडीएम चावल प्रधनाध्यापक तथा समन्वयक द्वारा बेचने के आरोप के मामले भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। आदर्श मध्य विद्यालय को तीन माह के लिए 33 क्विंटल चावल उपलब्ध कराया गया था। तो क्या बेचने हेतु ले जाया जा रहा 12 बोरा चावल की खपत नहीं हो सकी थी। यही रहस्य आदर्श मध्य विद्यालय सहित विभिन्न विद्यालयों के गोदामों में बंद है। जिसकी जांच की जाये तो असलियत सामने आयेगा। फिलहाल 20 दिसंबर से होने वाले सघन जांच से सही दिशा में हुई तो सरकारी विद्यालयों में फर्जी नामांकन और लूट-खसोट में कलई खुल सकती है।
0 comments:
Post a Comment