फारबिसगंज(अररिया),जासं: ईट-भट्टों से अभी सीजन की नई ईट निकल ही रही है कि ईट के दाम आसमान छूने लगा है। करीब 4500 से 5000 रू प्रति हजार की दर से ईट की कीमत खुली है। ऊंची कीमत के कारण गरीबों के लिय महंगाई में आशियाना बनाना कठिन हो गया है। बीपीएल परिवार वालों के लिए सरकारी स्तर पर इंदिरा आवास भी उपलब्ध हो जाता है। लेकिन कम आय वाले मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए घर बनाना सपना बनता जा रहा है। ईट की कीमतों के साथ, बालू, गिट्टी, छड़-सीमेंट के दामों में भी वृद्धि हो चुकी है। जिसका असर गरीब परिवारों के घर बनाने की चाहत पर देखा जा रहा है।
इधर, जिला प्रशासन के द्वारा भी ईट की कीमत निर्धारित किये जाने अथवा नहीं किये जाने की जानकारी आम लोगों को नहीं है। जिसका फायदा ईट भट्टा मालिकों द्वारा उठाया जा रहा है। प्रशासनिक उदासीनता का खामियाजा आम लोगों के आशियाना बनाने के सपनों पर भारी पड़ रहा है। इधर कुछ ईट भट्टा मालिकों ने बताया कि ईट पर महंगाई की मार पड़ी है। मजदूरी और लागत बढ़ी हुई है।
महंगाई के बावजूद ईट की इतनी अधिक कीमत आम लोगों के लिए अबुझ पहेली बन गयी है। जबकि कई माह से इंदिरा आवास का मकान भी नहीं बन रहा है। ईट की खपत अधिक होने के कारण भी कीमत ऊंची होने की बात पहले बतायी जाती थी। लोगों को अभी ईट की कीमत को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक पहल का इंतजार है।
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