Sunday, December 12, 2010
नौकरी से विमुख हो रहे चिकित्सक
फारबिसगंज(अररिया),हमारे प्रतिनिधि: बिहार राज्य चिकित्सा सेवा संघ भाषा के प्रतिनिधियों के अनुसार सूबे में नौ हजार चिकित्सकों के पद रिक्त है। लेकिन घटिया सेवा शर्त एवं अमानवीय कार्य भार के कारण मेडिकल कॉलेजों से पास आउट चिकित्सक सरकारी सेवा में नहीं आना चाहते। भाषा के प्रवक्ता डा. अजय कुमार एवं जिला सचिव डा. जयनारायण प्रसाद ने बताया कि फिलवक्त बिहार में तीन हजार तीन सौ सरकारी चिकित्सक कार्यरत है तथा एक हजार आठ सौ संविदा पर प्रतिनियुक्त है। जबकि सरकारी अस्पतालों में प्रतिमाह औसतन छह सौ मरीज प्रतिमाह चिकित्सा कराने आते है। इस तरह देखा जाये तो कुल बारह हजार सरकारी चिकित्सकों की आवश्यकता है। फलस्वरूप यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि उक्त नियमित एवं संविदा वाले चिकित्सकों को अमानवीय रूप से कार्य करना पड़ता है। बताया कि वर्तमान में राज्य भर से नौ सौ चिकित्सक प्रतिवर्ष मेडिकल की डिग्री लेकर निकलते है। बावजूद इसके अभी भी नौ हजार चिकित्सकों का पद रिक्त है। उन्होंने बताया कि बिहार में मौजूदा घटिया सेवा शर्तो के कारण ये पास आउट चिकित्सक दूसरे राज्यों में जाना बेहतर समझते है। संविदा पर प्रतिनियुक्त चिकित्सकों के संदर्भ में उन्होंने बताया कि उनके साथ तो बंधुआ मजदूर की तरह बर्ताव किया जाता है।
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